लोहरी पर निबंध | Essay Hindi | Hindi Nibandh

By GK Hindi

Published on:

लोहरी पर लेख | Essay Hindi | Hindi Nibandh लोहरी भारत के उत्तर क्षेत्र, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व मुख्य रूप से फसल कटाई और सूर्य की उत्तरायण दिशा में यात्रा के आगमन का प्रतीक है। लोहरी मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है और इसे किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए विशेष महत्व का पर्व माना जाता है।

लोहरी का महत्व

लोहरी का त्योहार कृषि जीवन और प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है। यह सर्दी के मौसम के अंत और नई फसल के स्वागत का उत्सव है। इस दिन मूंगफली, गजक, तिल, गुड़, मक्का और रेवड़ी खाने और बांटने की परंपरा है। त्योहार से जुड़ी एक और कहानी हिरणाकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद की है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिलता है।

लोहरी का उत्सव

लोहरी के दिन बड़ी-बड़ी अलाव जलाए जाते हैं। लोग अलाव के चारों ओर इकट्ठा होकर नृत्य करते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। पंजाब में गिद्धा और भांगड़ा नृत्य इस उत्सव का मुख्य आकर्षण होते हैं। अलाव में तिल, गुड़, गजक, मक्का के दाने और मूंगफली अर्पित की जाती है, जो अग्नि को समर्पित करने की परंपरा है। माना जाता है कि यह अनुष्ठान समृद्धि, खुशी और नई शुरुआत का प्रतीक है।

पारंपरिक गीत और कहानियाँ

लोहरी के दिन “सुंदर मुंदरिये” गीत गाने की परंपरा है। बच्चे घर-घर जाकर लोहरी मांगते हैं और बदले में मिठाइयां और पैसे पाते हैं। यह पर्व समुदाय में सामूहिकता और सौहार्द को बढ़ावा देता है।

आधुनिक समय में लोहरी

आज के समय में लोहरी केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है। इसे शहरी क्षेत्रों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं।

लोहरी केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि हमारी परंपराओं, प्रकृति और संस्कृति के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में खुशियों का आनंद लेने और सामूहिकता को बनाए रखने के लिए त्योहारों का महत्व कितना खास है।

Leave a Comment